मां की सिखाई एक-एक चीज ऐसी होती है, जो व्यक्ति को व्यक्तित्व निमार्ण में सहायता करती है। यही वजह है कि बचपन में सिखाए सबक, ताउम्र दिमाग और दिल में छप से जाते हैं। लेकिन भारतीय मांओं की बात की जाएं, तो उनसे जुड़ी कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जिनसे किसी भी महिला को सीखना नहीं चाहिए।

मां को हर बच्चे का पहला गुरु कहा जाता है। और ये 100 प्रतिशत सच भी है। चाहे पहला शब्द हो या फिर चलने, उठने, खाने, रहने आदि का तरीका, सबकुछ बच्चा सबसे पहले मां से ही सीखता है। समय के साथ इसमें थोड़ा बदलाव जरूर आता है, लेकिन कभी भी दिल और दिमाग की गहराइयों में से परवरिश से जुड़ी ये चीजें बाहर नहीं जातीं। यही वजह है कि मां ने क्या सिखाया है, ये चीजें किसी की भी जिंदगी में बहुत ज्यादा मायने रखती हैं।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि मां हमेशा ही अपने बच्चों को सबसे उम्दा चीजें सिखाने का प्रयास करती है, लेकिन भारतीय परिवेश की बात की जाए, तो यहां पर कुछ चीजें ऐसी हैं, जो किसी भी बेटी को अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं सीखनी चाहिए। ऐसी ही पांच बातें हम यहां लेकर आए हैं।

ब्यूटी कॉम्प्लेक्स

दुनियाभर में अलग-अलग ब्यूटी स्टैंडर्ड्स हैं। ये वो पैमाने हैं, जिनके आधार पर तय किया जाता है कि कोई सुंदर है या नहीं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यहां पर भी महिलाओं के लिए कुछ सदियों से चले आ रहे ब्यूटी स्टैंडर्ड मजबूती से कदम पसारे हुए हैं।

ये लोगों के दिमाग में इतने अंदर तक घुसे हुए हैं कि किसी भी लड़की को बचपन से ही इसके बारे में सिखाया जाना और ढालना शुरू कर दिया जाता है।

अपनी स्किन-हेयर आदि का ख्याल रखना अच्छी बात है, लेकिन किसी एक सांचे में ढलने की कोशिश करना, दिमाग पर विपरीत असर डालता है।

मां ने भले ही आपको स्किन कलर, हेयर स्टाइल जैसी चीजों को लेकर हमेशा से चले आ रहे पैमानों के बारे में सिखाया हो पर आप खुद को इन्हें फॉलो करने पर मजबूर न करें। अपने दिल और दिमाग में हमेशा ये ध्यान रखें कि आप जैसी भी हैं, वैसी ही सबसे सुंदर हैं।

बॉडी कॉम्प्लेक्स

सिर्फ स्किन कलर या फीचर्स को लेकर ही नहीं, हमारे यहां तो शरीर के आकार तक के पैमाने रखे गए हैं। यही तो वजह है कि छोटी सी उम्र से ही ज्यादातर मांएं अपनी बेटियों को इसमें ढालने की कोशिश करने लगती हैं। जिसके लिए डायट से लेकर व्यायाम तक को कंट्रोल किया जाता है।

बॉडी को फिट एंड हेल्दी रखें, बस ये ही सबसे ज्यादा अहम है। सोसायटी के बॉडी स्टैंडर्ड के हिसाब से ढलने के लिए अपने शरीर के साथ अत्याचार न करें। ये आपको मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़कर रख देगा।

तुलना करना

अब जब किसी को बचपन से ही इस तरह पाला गया हो कि उसे किसी विशेष ढांचे में फिट होना है, तो जाहिर सी बात है कि उसके लिए दूसरों से अपनी तुलना करना आम होगा। आपकी मां को शायद इस टॉक्सिक सोच से बाहर निकलने का अवसर न मिला हो और संभव है कि उन्होंने ये चीज आपको भी अनजाने में सिखा दी हो, लेकिन आप इसे आगे न बढ़ने दें।

दूसरों को हमेशा प्रायॉर्टी पर रखना

ज्यादातर लोग इस बात में हामी भरेंगे कि उनकी मां हमेशा दूसरों को अपने से आगे रखती हैं। चाहे वो खुद थककर चूर हों, लेकिन बच्चों से लेकर पति और सास-ससुर व दूर के रिश्तेदारों तक को वो सबकुछ हथेलियों पर देती हैं। उनकी खुशी को ही वो अपना मान लेती हैं। आप ऐसी गलती न करें।

अपनी इच्छाओं से लेकर सपनों को जिंदा रखें। ये न भूलें कि आप भी इंसान हैं और आपका खुद के लिए कुछ करने का और अपने आपको खुश रखने का पूरा अधिकार है। दूसरों से पहले खुद को अपनी प्राथमिकता बनाने से हिचकिचाएं नहीं

अपना ख्याल न रखना

बच्चों से लेकर पति तक की खाने और न्यूट्रीशन की चिंता करने वाली मां खुद ही भोजन करना तक भूल जाती है। बुखार भी हो, तो आराम करने की जगह दूसरे कामों में लगी रहती हैं ताकि बाकियों के लिए चीजें कठिन न बनें।

हालांकि, खुद से ऐसा बर्ताव करना पूरी तरह से तोड़कर रख सकता है। अपने मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अगर इसके लिए आपको चीजों से थोड़ा ब्रेक भी लेना पड़े तो हिचकिचाएं ना।

ध्यान रखें कि आप जब इन पुराने रूढ़ीवादी पैमानों को तोड़ेंगी, तभी अपनी बेटी को भी बेहतर भविष्य दे सकेंगी। और वो जब आत्मविश्वास से भरी मां बनेगी, तो वो भी अपनी बिटिया को अधिक आत्मविश्वासी बना सकेंगीं।