एन्‍डोमेट्रिओसिस महिलाओं के गर्भाशय में होती है, जिसमें गर्भाशय के अंदर एंडोमेट्रियम टिश्यू बनता है. जब गर्भाशय के अंदर परत बनती है और बढ़ने पर एंडोमेट्रियम परत गर्भाशय के बाहर की ओर फैलने लगती है. इससे स्‍पर्म फैलोपियन ट्यूब तक नहीं जा पाता. नतीजा यह निकलता कि मां बनने का सपना अधूरा रह जाता है. आइए जानते हैं कि बीमारी के बारे में-

एक ऐसी बीमारी, जो मां बनने का सपना चकनाचूर कर सकती है. दर्द भी ऐसा कि चलना-फिरना तो दूर उठना-बैठना तक मुहाल कर दे. लोग जानकारी के अभाव में इसे पीरियड्स पेन या गर्भाशय गांठ कह देते हैं. इस बीमारी के प्रति लापरवाही का सीधा मतलब है सेहत के साथ खिलवाड़. अब आप बहुत ज्यादा दिमाग लगाएं, इससे पहले बता दूं कि इस बीमारी का नाम है एन्‍डोमेट्रिओसिस. जी हां, यह महिलाओं के गर्भाशय में होती है, जिसमें गर्भाशय के अंदर एंडोमेट्रियम टिश्यू बनता है. या यूं कहें कि, जिससे गर्भाशय के अंदर परत बनती है और बढ़ने पर एंडोमेट्रियम परत गर्भाशय के बाहर की ओर फैलने लगती है.

एंडोमेट्रियम परत अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या अन्य प्रजनन अंगों तक फैलती है. इस परत के बढ़ने से वजाइना के मुख पर अतिरिक्‍त कोशिकाओं का विकास भी हो जाता है. यह परत फेलोपियन ट्यूब तक फैलने से अंडाशय की क्षमता पर असर पड़ता है, जो इंफर्टिलिटी का कारण बन सकता है.

क्‍योंकि, स्‍पर्म फैलोपियन ट्यूब तक नहीं जा पाता. अब सवाल है कि, आखिर फेलोपियन ट्यूब क्या है? क्यों होता है एन्‍डोमेट्रिओसिस? क्या हैं लक्षण और उपचार? इन सवालों के बारे में News18 को जानकारी दे रही हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज की सीनियर गॉयनेकोलॉजिस्ट डॉ. अमृता साहा-

एन्‍डोमेट्रिओसिस होने का कारण

एन्‍डोमेट्रिओसिस क्यों होता है? इस पर डॉ. अमृता साहा बताती हैं कि यह बाहरी संक्रमण की वजह से नहीं, बल्कि शरीर की आंतरिक प्रणाली में कमी के चलते होती है. इस बीमारी के शिकंजे में आने वाली महिलाओं की दिनचर्या अनियमित हो जाती है, जिससे तनाव बढ़ता है. डॉक्टर बताती हैं कि, एन्‍डोमीट्रीओसिस की एक वजह खराब इम्‍युनिटी और किसी प्रकार के घाव या सर्जरी भी हो सकती है.

फेलोपियन ट्यूब क्या है?

एक्सपर्ट के मुताबिक, गर्भाशय के दोनों तरफ ओवरी होती है, और ओवरी गर्भाशय से फैलोपियन ट्यूब द्वारा जुड़ी होती है. जब एंडोमेट्रियम परत फैलोपियन ट्यूब तक आती है, तभी अंडाशय की क्षमता पर असर पड़ने लगता है. इससे महिलाओं को कंसीव करने में परेशानी आती है.

कैसे होता है इस बीमारी का इलाज?

डॉ. अमृता साहा बताती हैं कि, यदि इसकी इलाज की बात करें को, तो सबसे पहले एन्‍डोमेट्रिओसिस की शिकार महिला के गर्भाशय की जांच की जाती है. यह जांच गर्भाशय में लैप्रोस्‍कोपी के जरिए होती है. लैप्रोस्कोपिक सर्जरी एंडोमेट्रियल टिशू को हटाने के लिए की जाती है. इस सर्जरी में गर्भाशय के अंदर की स्थिति का छोटे कैमरे से पता लगाते हैं, जिसमें पेल्विक के अंदर एन्‍डोमीट्रीओटिक हिस्सों को हटाते या लेजर की मदद से जलाते हैं. सर्जरी के बाद इसके फिर से उभरने की आशंका रहती है.

और कई बार मल्टीपल सर्जरी भी करनी पड़ सकती हैं. इस बीमारी के इलाज के लिए कई बार हिस्टेरेक्टॉमी नाम की सर्जरी भी की जाती है. जिसमें गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा को हटाने के साथ-साथ दोनों अंडाशय भी निकाले जाते हैं. इसलिए ऐसी किसी भी बीमारी को लापरबाही न बरतें. डॉक्टर की सलाह के नियमित दवाओं का सेवन करें.