Site icon Storeonline 24X7

बिना शादी के पति-पत्नी बनकर रहे, ‘लिव इन’ में संबंध बनाए और फिर छोड़ा, महिला के हक में कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि एक पुरुष के साथ काफी समय तक रहने वाली महिला अलग होने पर भरण-पोषण की हकदार है, भले ही वे कानूनी रूप से शादीशुदा ना हों.

इंदौर. लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देते हुए कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा कि एक पुरुष के साथ काफी समय तक रहने वाली महिला अलग होने पर भरण-पोषण की हकदार है, भले ही वे कानूनी रूप से विवाहित न हों.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता के केस की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे उस महिला को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता देने की आवश्यकता थी, जिसके साथ वह लिव-इन रिलेशनशिप में था.

हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यदि जोड़े के बीच “संबंध” रहे हैं तो गुजरा भत्ते से इनकार नहीं किया जा सकता है. ट्रायल कोर्ट के निष्कर्ष के अनुसार, महिला व पुरुष, दोनों पति और पत्नी के रूप में रह रहे थे.

क्यों अहम है हाईकोर्ट का निर्णय

अदालत ने आगे फैसला सुनाया कि इस रिश्ते के दौरान बच्चे के जन्म ने महिला के मासिक भरण-पोषण के अधिकार को मजबूत कर दिया है. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का यह महत्वपूर्ण निर्णय भारत में लिव-इन संबंधों के संबंध में कानूनी पहलू के महत्व को दर्शाता है. इस साल फरवरी में, उत्तराखंड एक समान नागरिक संहिता लाया, जिसके एक सेक्शन में लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया.

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा था कि लिव-इन रिलेशनशिप में ब्रेकअप के बाद महिलाओं के लिए अकेले रहना मुश्किल होता है. दरअसल यह मामला शादी का झूठा वादा करने और रेप करने से जुड़ा था जिस पर फरवरी 2024 में आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई.

इस मामले में जस्टिस सिद्धार्थ की बेंच ने कहा, ‘लिव-इन रिलेशनशिप टूटने के बाद एक महिला के लिए अकेले रहना मुश्किल होता है. बड़े पैमाने पर भारतीय समाज ऐसे रिश्तों को स्वीकार्य नहीं करता है इसलिए, महिला के पास वर्तमान मामले की तरह, अपने लिव-इन पार्टनर के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

Exit mobile version